अलीगढ़। अचानक कार्डियक अरेस्ट (सडन कार्डियक अरेस्ट) जानलेवा साबित हो रहा है। इसमें हार्ट अचानक काम करना बंद कर देता है। बेहोशी, दिल की धड़कन तेज होना, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी और चक्कर आना इसके लक्षण होते हैं। हालांकि, बड़ी बात यह है कि 50 फीसदी से अधिक रोगियों में अचानक कार्डियक अरेस्ट (एससीए) के कोई लक्षण नहीं होते हैं। इस पर काबू पाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि रेगुलर चेकअप कराए जाएं। ईसीजी, एम्बुलेटरी होल्टर मॉनिटरिंग, कार्डियक एमआरआई, कैथ और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी जैसे टेस्ट बेहद अहम हैं। मेडिकल साइंस की भाषा में 'एरिथमिया' जिसका अर्थ होता है दिल की धड़कनें अनियमित हो जाना। एरिथमिया होने पर आपकी धड़कनों की गति कभी सामान्य से ज्यादा बढ़ जाती है और कभी सामान्य से धीमी हो जाती है। एरिथमिया तब होता है, जब दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाली विद्युत तरंगें ठीक से काम नहीं करते हैं। ज्यादा फिजिकल एक्सरसाइज करने से भी इसका खतरा पैदा हो जाता है। दिल की धड़कन अनियमित हो जाने पर सीने, गले अथवा गर्दन में दर्द महसूस हो सकता है। इसके अलावा हार्ट की कुछ दिक्कतें जो अचानक कार्डियक अरेस्ट को न्यौता देती हैं, वे हैं कोरोनरी धमनियों में रुकावट, ऐसे मरीज जिन्हें पहले दिल का दौरा पड़ चुका है या फिर जिनकी दिल की सर्जरी या कार्डियोमायोपैथी हो चुकी है, उन्हें सावधान होने की जरूरत है। ऐसे मरीज डॉक्टर से परामर्श लें।
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक व कार्डियो थोरैसिक वैस्कुलर सर्जरी के प्रमुख डॉ. उदगीथ धीर का कहना है कि अचानक कार्डियक अरेस्ट में सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को है, जिनमें मधुमेह, धूम्रपान, शराब, नशीली दवाओं का सेवन की लत है। इसके अलावा जिनके पारिवारिक इतिहास में अचानक हार्ट अटैक से मौत हुई हो उन्हें भी खतरा है। हाई ब्लड प्रेशर, पोषण की कमी (खासकर पोटेशियम और मैग्नीशियम की कमी) आॅब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया वाले मोटे रोगी, और परिचित हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों की अत्यधिक वृद्धि) के रोगियों को भी अचानक कार्डियक अरेस्ट का ज्यादा खतरा हो सकता है। ऐसे जोखिम वाले लोगों को लाइफस्टाइल में बदलाव, पोषण की कमी को दूर करने की जरूरत है। कुछ लोगों को दिल की बीमारियों को ठीक करने के लिए विभिन्न प्रकार के पेसमेकर या सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है, यह कुछ हद तक ठीक है लेकिन गंभीर मामलों में यह देखा गया कि यह भी जीवन नहीं बचा पाते हैं। अचानक कार्डियक डेथ, हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इंफार्क्शन से अलग है। मेडिकल टर्म में कहा जाता है कि हार्ट अटैक दिल की वाहिकाओं को रक्त की सप्लाई अचानक रुकने के कारण होता है। हालांकि, यह भी सही है कि हार्ट अटैक से अचानक कार्डियक डेथ हो सकती है।
डॉ. धीर का कहना है कि अति हर चीज की बुरी होती है, चाहे वह व्यायाम ही क्यों न हो। एक्सरसाइज करने का मूल नियम यह है कि एक्सरसाइज हफ्ते में पांच बार और एक दिन में 45 मिनट से अधिक नहीं करनी चाहिए. क्योंकि एक्सरसाइज के दौरान हृदय गति बढ़ जाती है। ज्यादा एक्सरसाइज करने वाले लोगों में खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में इन लोगों को प्रोफेशनल ट्रेनरों की देखरेख में ही एक्सरसाइज करनी चाहिए। "हर दिल के लिए दिल का प्रयोग करें", दिल का संगीत सुनें, हर दिल की धड़कन को पोषण दें और उसकी मांसपेशियों को शक्ति और आराम दें और पर्याप्त नींद से हृदय की आत्मा को शांत करें।
डॉक्टर धीर का कहना है कि फिलहाल हम कविड बीमारी से सामना कर रहे हैं, हालांकि अब इसका स्तर धीमा हो चुका है। कोविड वायरल संक्रमण हार्ट की मांसपेशियों की संरचनाओं के साथ-साथ हृदय की विद्युत चालन प्रणाली को भी बदल देता है। इससे पहले से ही दूसरी बीमारियों से जूझ रहे हाई रिस्क पेशंट की नसों और धमनियों में थक्का बनने का डर रहता है। इसका सीधा मतलब यह है कि कोविड संक्रमण से प्रभावित रोगियों में अचानक कार्डियक अरेस्ट का जोखिम भी बढ़ा है।
Social Plugin