आंखें शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में एक हैं और उनमें लगने वाली चोट कितनी भी छोटी क्यों न हो चिंता की बात है और डाक्टरी सहायता हासिल करने में देरी चोटग्रस्त स्थान की स्थिति और अधिक घातक कर सकती है जिसके परिणामस्वरूप दिखाई देने में कमी आ सकती है या अंधापन हो सकता है। हर वर्ष सभी से सावधानी बरतने की अपील करने के बावजूद हमारे पास बड़ी संख्या में आंखों की चोट के शिकार मरीज आते हैं। पटाखे से प्रदूषण फैलता है। नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइट के चेयमैन डा. महिपाल सिंह सचदेव का कहना है कि इस सच्चाई की अनदेखी नहीं की जा सकती है कि अगर पटाखों का प्रयोग सावधानी से नहीं किया जाए तो वे अपने संपर्क में आने वाले में से बहुतों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकते हैं। यही वजह है कि हर वर्ष इस त्योहार के दौरान देश भर में बहुत से लोग अपनी आंखों की दृष्टि खो देते हैं और जल जाते हैं। ये मौज-मस्ती करने वालों के लिए अनकही मुसीबत ला सकते हैं और उनके दीपावली उत्सव का मजा खराब कर सकते हैं। इसलिए सुरक्षित राह अपनाना जरुरी है। इससे आप की खुशहाल और सुरक्षित दीपावली सुनिश्चित हो पाएगी।
डा.महिपाल सचदेव का कहना है कि आंखों में चोट लगने के बाद घटती हुई दृष्टि, आंखों में लाली, लगातार पानी आने तथा आंखों को खोलने में असमर्थ हो जाने जैसी शिकायतें हो सकती हैं। चोट की वजह से कंजक्टिवाइटिज में आंसू, आंखों में उभार के साथ श्वेतपटल में आंसू या आंखों में खून आ सकता है। पटाखों की वजह से ओक्युलर ट्रॉमा विभिन्न रूपों में नजर आ सकता है:-आंखों में किसी बाहरी तत्व का प्रवेश, चेहरे का जलना, कुंद चोट, छिद्रित चोट, चोट चाहे किसी भी रूप में हों, इनकी वजह से रेटाइनल इडेमा, रेटाइनल, डिटैचमेंट, संक्रमण या आंखों के पूरी तरह विरूपित हो जाने की शिकायत हो सकती है। हमने इन त्योहारों के दौरान आंखों को चोट पहुंचने की वजह से आंखों की दृष्टि ठीक समय पर पूरा इलाज शुरू किए जाने के बावजूद खत्म हो जाते हुए देखी है। न सिर्फ दृष्टि बल्कि कई बार आई बॉल विरूपित हो जाती है और इलाज के बावजूद लोगों की आई बॉल धंस जाती है जो कि चेहरे को बदसूरत बना देती है।
आंखों को चोटग्रस्त होने से बचाने के लिए पटाखे जलाते वक्त गॉगल्स यानी ‘रंगीन चश्मा’ पहनना चाहिए। आंखों को तत्काल पानी से धो डालना चाहिए। आंखों को शावर या बेसिन के पानी के नीचे रखें या फिर एक साफ वर्तन से आंखों में पानी डालें। पानी डालते वक्त आंखें खुली रखें या जितना संभव हो फैलाकर रखें। कम से कम 15 मिनट तक पानी डालना जारी रखें। अगर आंखों पर लेंस हो तो तत्काल ही पानी की फुहार डालना शुरू कर दें। इससे लेंस बह सकता है। अकेले पटाखा जलाने से बचें और यह कार्य समूह में करें। अगर चोट लगी हुई हो तो जितनी जल्दी संभव हो, नेेत्र विशेषज्ञ तक पहुंचें. डाक्टरी सलाह तब भी लें अगर आंखों में लाली हो या पानी आ रहा हो।
जलती हुई चिनगारियों को शरीर से दूर रखें। पटाखा जलाने के लिए मोमबत्ती या अगरबत्ती का इस्तेमाल करें। वे बिना खुली लपट के जलते हैं और आप को हाथों तथा पटाखे के बीच सुरक्षित दूरी कायम रखते हैं। सावधान रहें, यह सब नहीं करना है:
चोटग्रस्त भाग को छेड़े नहीं। आंखों को मलें नहीं। अगर कट गया हो, तो आंखों को धोएं नहीं। आंखों में पड़ा कोई कचरा हटाने की कोशिश न करें। अगर स्टेराइल पैड उपलब्ध नहीं हो तब कोई भी बैंडेज न लगा लें। आंखों के मलहम का इस्तेमाल न करें। सिंथेटिक कपड़ों को पहनने से बचें और सूती वस्त्रों का प्रयोग करें। टिन या ग्लास में पटाखे न जलाएं। छोटे बच्चों के हाथों में कभी भी पटाखे न दें। हवा में उडऩे वाले पटाखे वहां नहीं जलाएं जहां सिर के ऊपर पेड़ों, तारों जैसी रूकावटें हों। कभी भी उस पटाखे को फिर से जलाने की कोशिश न करें जो ठीक से जल नहीं पाया हो। 15 से 20 मिनट तक इंतजार करें और फिर उसे पानी से भरी एक बाल्टी में डाल दें। किसी पर भी पटाखे को नहीं फेंकें। पटाखे को हाथों में पकडक़र नहीं जलाएं। उन्हें नीचे रखें, जलाएं और फिर वहां से हट जाएं। ‘करने’ या ‘ना करने’ की हिदायतों पर अमल दीपावली उत्सव के दौरान आंखों की दृष्टि जाने या अन्य दुर्घटनाओं को रोक सकती हैं। किसी भी तरह की चोट को हानिरहित नहीं समझना चाहिए। साधारण सी चोट भी नजरों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। प्रारंभिक देखभाल से संबंधित आधारभूत जानकारी इलाज को आसान और तेज बनाएगी।
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