अलीगढ़ 25 नवम्बर 2022। स्ट्रोक दुनिया में कैंसर और हार्ट रोग के बाद मृत्यु या विकलांगता का तीसरा सबसे बड़ा कारण हैं। आँकड़ों के हिसाब से छ: में से एक व्यक्ति को अपने जीवन में स्ट्रोक हो सकता है। एक तिहाई स्ट्रोक के मरीज हमेशा के लिए डिसेबल्ड या डिपेंडेंट हो जाते हैं। पटपड़गंज स्थित मैक्स इंस्टीट्यूट आॅफ न्यूरोसाइंसेस के सीनियर कन्सलटेंट-न्यूरोलॉजी डॉ. अमित बत्रा का कहना है कि आखिर स्ट्रोक है क्या? स्ट्रोक एक ब्रेन अटैक है। जब दिमाग के किसी हिस्से में खून नहीं पहुंचता है, तो वह हिस्सा डैमेज होने लगता है। यह खून पहुंचाने वाली आर्टरी के खून के थक्के या क्लॉट से ब्लाक हो जाने से (इस्कीमिक स्ट्रोक) होता है, अगर यह आर्टरी फट जाए तो भी स्ट्रोक हो सकता है (ब्रेन हेमरेज)।
स्ट्रोक के लक्षण निम्न होते हैं जैसे कि स्ट्रोक के सिम्प्टम्स हमेशा अचानक से आते हैं। चेहरे का टेढ़ापन, बोलने या समझने में परेशानी, आवाज का बदलाव, एक तरफ की बाजु या लात की कमजोरी, बैलेन्स में परेशानी, अचानक से दिखना कम होना सब स्ट्रोक के लक्षण हो सकते हैं। स्ट्रोक होने के प्रमुख कारण है-बढ़ती उम्र (60 वर्ष), शुगर या मधुमेह, हार्ट के रोग, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की धड़कन का असामान्य होना (एट्रीयल फिब्रिलेशन), कलेस्टरॉल बढ़ना, मोटापा और धूम्रपान करना।
डॉ. अमित बत्रा के अनुसार स्ट्रोक होने पर हमें बिना समय बर्बाद किए जल्दी से मरीज को नजदीक के ऐसे हॉस्पिटल में लेकर जाना चाहिए, जहां पर न्यूरोलॉजी विभाग हो। घर पर ब्लड प्रेशर या खून पतला करने की दवा नहीं दें। हॉस्पिटल में डॉक्टर सीटी या एमआरआई करने के बाद उसे क्लॉट घोलने की दवा (टी पी ए) देते हैं, जिसे करीब 50 प्रतिशत लोगों में कोशिका खुल जाती है। यह दवा स्ट्रोक होने के 4.5 घंटे के भीतर दी जाती है। जिन मरीजों में क्लाट नहीं घुलता या जो देर से पहुंचते हैं, स्पेशलिस्ट डॉक्टर ऐंजियोग्राफी से बिना चीर फाड़ के क्लाट निकाल सकते हैं।
स्ट्रोक के बचाव के लिए हेल्थी लाइफ स्टाइल, शुगर/बी पी का कंट्रोल, वजन कम करना, रोजाना एक्सरसाइज और स्मोकिंग बंद करना जरूरी है। स्ट्रोक एक ब्रेन अटैक है और हम समय पर इलाज से इसे मरीज की जिंदगी बर्बाद करने से रोक सकते हैं।
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