हालांकि, विंटर ब्लूज से हर कोई प्रभावित नहीं होता है। मूड में बदलाव धीरे-धीरे होता है और समय के साथ सुस्ती व उदासी महसूस होने लगती है। कुछ लोगों में चिड़चिड़ापन आ जाता है, असंतोष की भावना पैदा हो जाती है, वो नाउम्मीद से हो जाते हैं और कुछ मामलों में तो लोग खुद को समाज से भी अलग कर लेते हैं।
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में मेंटल हेल्थ एंड बिहेवेरियल साइंसेज के सीनियर कंसल्टेंट और क्लीनिकल लीड डॉ.मंतोष कुमार ने कहा, ‘सर्दी के सीजन में हममें से ज्यादातर लोग धूप में कम वक्त बिताते हैं, जिससे हमारे दिमाग की फंक्शनिंग भी प्रभावित होती है और इससे मूड बदलने के चांस रहते हैं। इस सीजन में धूप में कम वक्त बिताने से व्यक्ति के अंदर उदासी की भावना पैदा हो जाती है, चिड़चिड़ापन आ जाता है। विंटर ब्लूज का कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं है, लोग खुद से ही ठीक हो जाते हैं लेकिन अगर किसी पर विंटर ब्लूज का असर होता है, तो इसका मतलब है कि कुछ करने की आवश्यकता है। इसके सभी तरह के लक्षण बहुत माइल्ड होते हैं और इससे डिप्रेसिव डिसऑर्डर जैसे कोई संकेत नहीं मिलते हैं।’’
विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि ज्यादातर आम लोग विंटर ब्लूज से प्रभावित होते हैं, लेकिन अधिकतर बार ऐसा होता है कि लोग इसे इग्नोर कर देते हैं। ऐसे में इस पहले पर लोगों को अवेयर करने की आवश्यकता है। विंटर ब्लूज से बचने और अपनी मेंटल हेल्थ को स्वस्थ रखने के लिए डॉ.मंतोष कुमार ने कुछ टिप्स भी शेयर किए। उन्होंने बताया, ‘क्योंकि ये समस्या कोई डिसऑर्डर नहीं है, लिहाजा कुछ एहतियाती कदम से खुद को इससे बचाया जा सकता है। सुबह के वक्त धूप में कुछ वक्त बिताएं, इससे सिसाडियन रिदम रेगुलेट करने में मदद मिलती है या फिर हफ्ते में दो-चार बार 20 मिनट से ज्यादा एक्सरसाइज करें। इससे भी विंटर ब्लूज का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा अपने खाने-पीने का ध्यान रखें, प्रोटीन युक्त हेल्दी डाइट का सेवन करें। प्रॉपर तरीके से नींद लें। घर में बैठे दोस्तों-रिश्तेदारों के कहने पर बिस्तर में ज्यादा वक्त बिताने से बचें।’’
सर्दी का मौसम खुद ही आलस लेकर आता है। इस मौसम में बिस्तर में पड़े रहने से कंफ्र्ट फील होता है। लेकिन इस सबके कारण दिमाग की गतिविधि में बदलाव आते हैं, एनर्जी लेवल गिर जाता है। लेकिन सही टिप्स को फॉलो कर विंटर ब्लूज से बचा जा सकता है।
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