रेवाड़ी : कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की तस्वीर बदल दी है. वर्क फ्रॉम होम, स्कूल फ्रॉम होम जैसे नए कॉन्सेप्ट ने जन्म लिया. इसका असर ये हुआ कि मोबाइल, लैपटॉप जैसी अन्य डिवाइस पर लोगों की निर्भरता बढ़ गई. बुजुर्ग हों या नौजवान, महिलाएं हों या बच्चे, हर कोई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में आगे आ गया. अब तो स्थिति ये है कि लोगों को डिवाइस की लत लग गई है. इन डिवाइस के यूज से जहां सुविधा मिली है वहीं इसके कुछ नकारात्मक असर भी हुए हैं.
मौजूदा वक्त में डिजिटल दुनिया का विस्तार हो रहा है. लेकिन सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर निर्भरता और ज्यादा विश्वसनीयता ने अब लोगों को खुद से और दूसरों से भी दूर कर दिया है. साथ ही इसका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ा है. सिरदर्द और आंखों में समस्याएं होने लगी हैं.
ऐसे में जरूरी है कि लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जाए ताकि वो गैजेट्स का सही रूप में इस्तेमाल करें. डिवाइस का उपयोग करते हुए नियमित ब्रेक लें यानी ‘डिजिटल डिटॉक्स’ की जरूरत है.
*गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर रोशनी सोंधी-अबी ने डिजिटल डिटॉक्स के बारे में विस्तार से समझाया. उन्होंने बताया, *‘’डिजिटल डिटॉक्स सोशल मीडिया और डिजिटल डिवाइस की लत से खुद को बचाना है. यह ठीक उसी तरह है जैसे जब कोई व्यक्ति किसी भी ड्रग्स के सेवन से मुक्त हो जाता है. हालांकि, इसकी प्रक्रिया लंबी और थकाऊ होती है, लेकिन छोटे- छोटे प्रयास और बदलाव भी ड्रग एडिक्शन से बचाने में अहम साबित होते हैं. डिजिटल डिवाइस का अधिक उपयोग व्यक्ति के शरीर पर गलत प्रभाव डालता है. ऐसे लोग परिवार और दोस्तों के साथ कम वक्त बिताने लगते हैं, उनकी एक्टिविटी कम हो जाती है, बैठने की पोजीशन पर असर पड़ता है, शारीरिक तौर पर थकान होने लगती है, आंखों में दिक्कत होने लगती है, तनाव बढ़ जाता है. ऐसे में डिजिटल डिवाइस का यूज करने के साथ ही इसे लेकर जागरूकता की बेहद आवश्यकता है ताकि लोग एक सीमा में रहते हुए डिवाइस का इस्तेमाल करें.’’
आप चाहे मोबाइल यूज कर रहे हों या लैपटॉप, किसी भी टेक्नोलॉजी का ब्रेक लेकर इस्तेमाल करने से मानसिक और भावनात्मक तौर पर लोगों को काफी फायदा पहुंचता है. इसके साथ ही फिजिकल हेल्थ में भी सुधार होता है. डिवाइस का लिमिटेड यूज करने से व्यक्ति को प्रकृति के साथ वक्त गुजारने का मौका मिलता है, फिजिकल एक्टिविटी बढ़ती हैं, इस सबसे तनाव में कमी आती है.
*डिजिटल डिटॉक्स कैसे करें, इसके बारे में डॉक्टर रोशनी ने बताया,* ‘’खुद को गैजेट्स से दूर रखने के बहुत तरीके हैं. एक अच्छा तरीका ये है कि घर में टेक्नोलॉजी फ्री जोन बना लिया जाए. जब भी फैमिली के लोग बैठकर साथ खाना खाएं या बातचीत कर रहे हों तो मोबाइल-आईपैड जैसी सभी डिवाइस को कहीं अलग रख दें. एक और तरीका ये कि अपनी डिवाइस को डेली स्विच ऑफ करने की आदत डाल लें. सोन से कुछ घंटे पहले मोबाइल, टीवी, टैबलेट्स को बंद कर दें, इससे आपको बेहतर नींद में मदद मिलेगी. लोगों को ये भी सलाह दी जाती है कि रियल रिश्तों की जगह डिजिटल रिलेशनशिप को न पनपने दें. इससे भी आपकी डिवाइस पर निर्भरता कम होगी. एक सोसाइटी के रूप में, सभी के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे सामाजिक रिश्तों के वास्तविक महत्व को महसूस करें और उन्हें डिजिटल दुनिया से दूर रखते हुए सोशल मीडिया की बातचीत से अलग करें. लगातार नोटिफिकेशन पॉप अप करने से दिक्कत होती है जिससे टेंशन भी बढ़ जाती है. ऐसे में जरूरी है कि नोटिफिकेशन की प्रायोरिटी भी सेट करें और सभी चीजों में बैलेंस रखें.’’
हर दिन आ रही नई टेक्नोलॉजी से लोगों की जिंदगी बहुत इजी तो हुई है लेकिन ये सब चीजें हेल्थ पर गलत असर भी डाल रही हैं. मेंटल और फिजिकल दोनों तरह की हेल्थ बिगड़ रही है. इसी को देखते हुए फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम लोगों को इस खतरे के प्रति लगातार जागरूक कर रहा है और लोगों को अवेयर कर रहा है ताकि वो खुद को डिजिटल डिटॉक्स कर सकें।
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