मेरठ: मोटापा आज के दौर में एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है. खराब लाइफस्टाइल और एक्सरसाइज से दूरी ने भी इसे बढ़ाने में रोल निभाया है. वजन ज्यादा हो जाने से कई तरह की समस्याएं व्यक्ति को घेर लेती हैं. इन्हीं तमाम बिंदुओं पर डॉक्टर आशीष गौतम , निदेशक, लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी, मैक्स अस्पताल, पटपड़गंज, नई दिल्ली ने विस्तार से जानकारी दी.
भारत में लोगों का अधिक वजन होना और मोटेपन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पूरी दुनिया में भारत में लोग सबसे ज्यादा तेजी से इस ओवरवेट की समस्या से ग्रसित हो रहे हैं. देश में 135 मिलियन से ज्यादा आबादी मोटापे की चपेट में है.
कोई भी व्यक्ति जिसका बॉडी मास इंडेक्स 30 से अधिक होता, वो ओबेसिटी की कैटेगरी में आता है. बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) मापने का एक फार्मूला होता है. इसके लिए वजन को किलोग्राम में लिखकर, हाइट को हाइट से गुणा लेकर डिवाइड करना पड़ता है. यहां हाइट मीटर में लिखनी होती है.
मोटापे से कई अन्य समस्याएं भी पैदा हो जाती हैं. व्यक्ति टाइप-2 डायबिटीज से घिर जाता है. हाइपरटेंशन, दिल की बीमारी, नींद में दिक्कत, अर्थराइटिस, पित्त में पथरी होना और हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम की समस्या भी हो जाती है. अगर किसी व्यक्ति का वजन 4-5 किलो भी बढ़ जाए तो उसे टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा डबल हो जाता है. इसके अलावा मोटापे से एंडोमेट्रियल, स्तन और कोलोन कैंसर पनपने का भी डर रहता है.
बेरिएट्रिक सर्जरी क्या है?
बेरिएट्रिक सर्जरी, अलग-अलग तरह की सर्जरी का एक ग्रुप होता है. ये सर्जरी पेट और छोटी आंत पर की जाती हैं ताकि लंबे समय तक वेट लॉस रह सके और डायबिटीज, हाइपरटेंशन व ओस्टियोआर्थराइटिस जैसी परेशानियों से बचा जा सके.
बेरिएट्रिक सर्जरी कैसे होती है?
बेरिएट्रिक सर्जरी में खाने की मात्रा और उसके अवशोषण को कंट्रोल किया जाता है. इसे हार्मोनल चेंज भी होता है, जिसमें भूख बढ़ाने वाले हार्मोन जैसे घ्रेलिन को दबा दिया जाता है. यानी भूख कम लगती है. ये सर्जरी इंसुलिन स्राव को बढ़ाती है और इंसुलिन प्रतिरोध को कम करती है.
बेरिएट्रिक सर्जरी लेप्रोस्कोपी (की-होल सर्जरी) एवं रोबोट असिस्टेड सर्जरी की जाती है. क्योंकि ये सर्जरी की-होल होती है, इसलिए सर्जरी के बाद मरीज को किसी तरह की मुश्किल नहीं होती. इस सर्जरी में बहुत ही छोटा कट लगाया जाता है और सर्जरी के 48-72 घंटे के अंदर ही मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है.
किन लोगों को बेरिएट्रिक सर्जरी की जरूरत?
जिस व्यक्ति का बीएमआई 35 से अधिक हो या फिर अगर किसी का बीएमआई 32 हो लेकिन साथ में डायबिटीज, हाइपरटेंशन, स्लीप एप्निया की समस्या हो तो ऐसे लोगों को सर्जरी की आवश्यकता रहती है.
वेट लॉस सर्जरी के क्या फायदे होते हैं?
अगर सर्जरी कराई जाए तो व्यक्ति का जो अधिक वजन होता है उसमें से 70 फीसदी तक एक साल के अंदर ही कम हो जाता है. 80-90 फीसदी रिकवरी मरीज की हेल्थ कंडीशन जैसे कि डायबिटीज, हाइपरटेंशन, स्लीप एपनिया, पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिजीज और जोड़ों से संबंधित रहती है. इस सर्जरी से जीवन में तो सुधार आता ही है, साथ ही फर्टिलिटी भी बेहतर होती है.
कितनी तरह की होती हैं बेरिएट्रिक सर्जरी?
यूं तो सभी बेरिएट्रिक सर्जरी लेप्रोस्कोपी के जरिए की जाती है लेकिन इसके अलग-अलग तरीके भी होते हैं. एक लेप्रोस्कोपिक वर्टिकल स्लीव गेस्ट्रोक्टॉमी सर्जरी होती है. दूसरी लेप्रोस्कोपिक राउक्स एनवाई गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी, तीसरी लेप्रोस्कोपिक एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंड सर्जरी होती है एवं लेप्रोस्कोपिक एम जी बी (मिनी गैस्ट्रिक बाईपास) सर्जरी होती है.
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