मेरठ- प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुषों के शरीर का वो अंग होता है जिसका साइज उम्र बढ़ने के साथ आमतौर पर बढ़ जाता है. खासकर, 50 साल की उम्र के बाद इसके साइज में इजाफा हो जाता है और इससे यूरिन में समस्या होने लगती है. ऐसे में ये बेहद जरूरी है कि लोग इस ग्रंथि के बारे में अवेयर हों. अगर किसी को भी यूरिन पास करने में समस्या महसूस हो या कुछ भी असामान्य लगे तो उन्हें यूरोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए. यूरोलॉजिस्ट कुछ टेस्ट कराएंगे, जैसे कि पेशाब की जांच, अल्ट्रासाउंड, यूरोफ्लोमेट्री और प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (पीएसए) टेस्ट कराए जाएंगे.
अगर किसी को हल्के लक्षण महसूस होते हैं किसी खास इलाज की जरूरत नहीं पड़ती और लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव से ही राहत मिल जाती है. अगर परेशानी ज्यादा महसूस हो, नींद में दिक्कत होने लगे, डेली रुटीन पर असर पड़ने लगे तो कुछ मेडिसन से इसे कंट्रोल किया जा सकता है. मेडिसिन से मसल्ट को राहत मिलती है, साथ ही प्रोस्टेट का साइज भी घटता है.
ग्रेटर नोएडा के यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में यूरोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉक्टर विपिन सिसोदिया ने कहा, ‘’कुछ मरीजों को दवाई के बावजूद दिक्कतें खत्म नहीं होती और पेशाब में खून तक आने लग जाता है, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी मूत्र नलिका में संक्रमण हो जाता है या किडनी में बैक प्रेशर में बदलाव हो जाता है और ऐसी स्थिति में प्रोस्टेट की सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है. ये सर्जरी प्रोस्टेट कैंसर के लिए की जाने वाली सर्जरी से अलग होती है. ये एक एंडोस्कोपिक सर्जरी होती है जो यूरेथरा के रास्ते एंडोस्कोप से की जाती है. इसमें पेनिस के अंदर एक ट्यूब डाली जाती है और प्रोस्टेट को निकाला जाता है ताकि यूरिन सही तरह से पास हो सके. इस सर्जरी में इलेक्ट्रिक करंट या लेजर दोनों तरह की एनर्जी का इस्तेमाल किया जा सकता है और ये पूरी प्रक्रिया मरीज को बेहोश करके की जाती है. सर्जरी के बाद मरीज को 2-3 दिन अस्पताल में रहना पड़ता है.’’
प्रोस्टेट की दूसरी बड़ी समस्या कैंसर है. 15 फीसदी पुरुषों में आनुवंशिक स्थिति के बावजूद बढ़ती उम्र (80 वर्ष की आयु के बाद) के साथ प्रोस्टेट कैंसर विकसित होने की संभावना रहती है. ऐसे मामलों में जीन म्यूटेशन के कारण होने वाले प्रोस्टेट कैंसर की तुलना में उच्च जीवित रहने की दर के साथ रोग की प्रगति धीमी है.
डॉक्टर विपिन सिसोदिया ने आगे कहा, ‘’अगर कैंसर सिर्फ प्रोस्टेट तक सीमित रहता है तो इसमें सर्जरी ही बेस्ट विकल्प माना जाता है. अगर सर्जरी न की जाए तो रेडिएशन व हार्मोन थेरेपी भी की जा सकती है. सर्जरी में पूरा प्रोस्टेट ही निकाला जाता है. सर्जरी में रोबोट का भी इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, ये सर्जरी मरीज की सेक्सुअल पॉवर को प्रभावित कर सकती है, और यूरिन लीक की समस्या भी हो जाती है जिसके लिए उन्हें 2 हफ्तों से लेकर 3 महीने तक डायपर पहनना पड़ता है. करीब 98 फीसदी मामलों में ऐसे पुरुष एक साल में ठीक हो जाते हैं.
हालांकि, भारत के लिहाज एक तथ्य काफी राहत देने वाला है. पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीय पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर होने के चांस 25 फीसदी कम रहते हैं. हालांकि, इसके बावजूद भारत में बीमारी और मौत के लिए प्रोस्टेट कैंसर अब भी 12वां सबसे बड़ा कारण है.
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