मेरठ : दिमाग के दुर्लभ तरीके के इंफेक्शन से पीड़ित एक 15 वर्षीय लड़के को नया जीवन मिला है. नई दिल्ली के बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में इस बच्चे का सफल इलाज किया गया है. लड़के को पायोजेनिक मेनिनगिटिस के साथ सबड्यूरल एमपायमा की समस्या थी. यानी लड़के के दिमाग के सेंट्रल नर्वस सिस्टम में इंफेक्शन हो गया था, और मवाद जमा हो गई थी.
लड़के को जब बीएलके मैक्स अस्पताल लाया गया उससे पहले उसे 7 दिन तक सिरदर्द था, और उल्टियां हो रही थीं. साथ ही एक पूरा दिन हाई फीवर भी रहा. हालांकि, लड़का अपने होश में था, लेकिन उसकी हालत लगातार बिगड़ रही थी जिसे देखते हुए गहन जांच-पड़ताल के मकसद से उसे आईसीयू में भर्ती किया गया.
पहले मरीज की सभी तरह की आवश्यक जांच कराई गई. पायोजेनिक मेनिनगिटिस का पता लगाने के लिए सेरेब्रो स्पाइनल फ्लूड (सीएसएफ) रिपोर्ट कराई गई. बीएलके के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने शुरुआत में एंटीबायोटिक के साथ सपोर्टिव ट्रीटमेंट दिया. मरीज की हालत में सुधार देखा गया जिसके बाद उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन चार दिन के बाद अचानक लड़के ने अपना होश खो दिया, जिसे देखते हुए उसे फिर से आईसीयू में भर्ती कराया गया और वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया.
एक बार फिर मरीज के कई तरह के टेस्ट किए गए. रिपोर्ट में पता चला कि दिमाग के बाएं फ्रंटोपेरिएटल एरिया में पस जमा थी जिससे दिक्कत हो रही थी. साथ ही, ये कंडीशन बहुत अव्यवस्थित भी थी. ऐसी हालत में न्यूरोलॉजिकल स्टेटस देखते हुए तुरंत सर्जरी का फैसला किया गया. बीएलके मैक्स अस्पताल में सेंटर फॉर न्यूरोसाइंसेज में न्यूरो सर्जरी एंड न्यूरो स्पाइन के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर रोहित बंसिल और उनकी टीम ने फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा (एफएफपी) ट्रांसफ्यूजन के साथ सर्जरी को अंजाम दिया.
सर्जरी की प्रक्रिया के बारे में डॉक्टर रोहित बंसिल ने बताया, ‘’मरीज की लेफ्ट साइड फ्रंटो टेम्पोरो-पेरिएल हेमिक्रेनिएक्टोमी सर्जरी की गई, साथ ही पस भी निकाला गया. सर्जरी के दौरान, सबड्यूरल एरिया में बहुत ज्यादा मवाद था, जिसे अच्छे से हटाया गया. ऑपरेशन के बाद बच्चे को आईसीयू में शिफ्ट किया गया और एमआरआई किया गया. इसकी रिपोर्ट में पता चला कि मवाद पूरी तरह से निकल गई है. जीसीएस लो और वीनिंग की समस्या को देखते हुए ट्रेकियोस्टोमी भी की गई. एंटीबायोटिक के साथ सपोर्टिव इलाज चलता रहा जिसकी मदद से लड़के के न्यूरोलॉजिकल स्टेटस में सुधार आया और वो होश में आ गया. अब लड़का बात समझने लगा, उधर ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब भी हटा ली गई. लड़का सपोर्ट के साथ चलने लगा और फिलहाल ओपीडी में लगातार फॉलो-अप ट्रीटमेंट ले रहा है.’’
सबड्यूरल एरिया में मवाद जमा होने के साथ पायोजेनिक मेनिनगिटिस के इस तरह के दुर्लभ मामलों में मरीज की मौत का खतरा रहता है और दिव्यांगता का भी डर रहता है. ऐसी स्थिति में सही वक्त पर बेहतर इलाज लेकर इस जानलेवा बीमारी से बचाव किया जा सकता है.
डॉक्टर रोहित ने आगे बताया, ‘’ये केस बहुत ही चुनौतीपूर्ण और रेयर था लेकिन समय पर डॉक्टरों के दखल व सर्जरी के कारण हम बच्चे की जिंदगी बचाने में कामयाब हो सके. बच्चे को रिकवर होते देखना हमारे लिए बहुत ही गौरव की बात है कि सर्जरी के बाद वो अब नॉर्मल लाइफ की तरफ लौट रहा है. बीएलके मैक्स अस्पताल में हम लोग हर मरीज को बेहतर से बेहतर इलाज देने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि उनके जीवन की रक्षा की जा सके.’’
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