लखनऊ l एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि कम इजेक्शन फ्रैक्शन (HFrEF) के साथ हार्ट फेलियर वाले हर पांच में से एक मरीज मध्यम से गंभीर या गंभीर माइट्रल रिगर्जिटेशन (MR) से पीड़ित है. अगर इसका इलाज न हो तो मौत का भी खतरा रहता है और मृत्यु दर 46.1 फीसदी रहती है. एमआर की गंभीरता हार्ट फेल्योर (एचएफ) के मरीजों के लिए काफी खतरनाक साबित होती है।
मैक्स हॉस्पिटल साकेत नई दिल्ली में कार्डियक साइंसेज के चेयरमैन डॉक्टर बलबीर सिंह ने बताया, ’हार्ट फेल्योर और एमआर वाले काफी मरीजों को जितनी बर्दाश्त हो सके उतनी मेडिकल थेरेपी दी जाती है लेकिन उससे भी राहत नहीं मिल पाती है. वहीं, सेकेंडरी कैटेगरी के एमआर मरीजों के लिए सर्जरी एक बेहतर विकल्प नहीं माना जाता है।
ऐसे में माइट्राक्लिप प्रक्रिया अपनाई जाती है जो मिनिमली इनवेसिव है और कार्डियोपल्मोनरी बायपास के बिना ही बीटिंग हार्ट पर की जाती है. इसमें एमआर कम होने का रियल टाइम में पता भी चलता है और क्लिप को फिर से लगाने की भी संभावना रहती है. इस प्रक्रिया से इलाज कराने वाले मरीज आमतौर पर 2-3 दिन के अंदर अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाते हैं।
माइट्राक्लिप के प्रभाव को दो बहुत ही नामचीन ट्रायल EVEREST ।। और COAPT द्वारा ग्रीन सिग्नल दिया गया है. इन ट्रायल्स के रिजल्ट के आधार पर माइट्राक्लिप को यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) से हाई रिस्क सर्जरी पेशंट और इनऑपरेबल दोनों तरह के मरीजों के इलाज का अप्रूवल दिया गया है और ये डिजनरेटिव एमआर व मॉडरेट टू सीवियर फंक्शनल एमआर और मैक्सिमली टॉलरेटेड जीडीएमटी के साथ दिया गया है. माइट्राक्लिप प्रक्रिया के बाद करीब 90 फीसदी मरीज डिस्चार्ज होकर सीधे अपने घर चले जाते हैं।
माइट्राक्लिप की एक शानदार क्लीनिकल हिस्ट्री रही है जो 16 साल से ज्यादा वक्त से चली आ रही है. क्लीनिकल ट्रायल्स में इसके बारे में 30,000 से ज्यादा मरीजों पर स्टडी किया गया है और पूरी दुनिया में 1,50,000 से ज्यादा मरीजों का इलाज इससे किया गया है. सेकंडरी एमआर के मामले में 12 महीने पर इस प्रक्रिया से 96.6 फीसदी बेहतर रिजल्ट रहे हैं।
डॉक्टर बलबीर ने आगे कहा, डॉक्टरों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे सतर्क रहें और शारीरिक गतिविधि, थकान, सांस की तकलीफ, वजन बढ़ना और एडिमा जैसे लक्षणों के लिए मरीजों की जांच करें. माइट्रल वाल्व की स्थिति के लक्षणों को दवाएं कंट्रोल कर सकती हैं लेकिन इससे अंदर की समस्या का समाधान नहीं होता है. वाल्व रिपेयर के लिए सर्जरी या रिप्लेसमेंट एक लंबा चलने वाला बेहतर विकल्प हो सकता है लेकिन सेकेंडरी एमआर वाले मरीजों को आमतौर पर इसकी सलाह नहीं दी जाती है ।
फंक्शनल एमआर पर COAT ट्रायल में 36 महीनों में मृत्यु दर में 33 फीसदी रिस्क कम देखा गया, जबकि एचएफ में 51 फीसदी रिस्क कम देखा गया जबकि क्वालिटी लाइफ में 2.5 गुना सुधार देखा गया।
एमआर के साथ हार्ट फेल के मरीजों के पास अब माइट्राक्लिप के रूप में इलाज का एक नया विकल्प उपलब्ध है. जो लंबे समय तक बेहतर जीवन देता है।
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