अस्थमा मरीजों को कोविड-19 का सबसे ज्यादा रिस्क, बीएलके मैक्स के डॉक्टर ने बताए बचाव के उपाय:

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अस्थमा मरीजों को कोविड-19 का सबसे ज्यादा रिस्क, बीएलके मैक्स के डॉक्टर ने बताए बचाव के उपाय:

अस्थमा यानी दमा एक ऐसी समस्या है जिससे लाखों भारतीय पीड़ित हैं. इसमें फेफड़ों तक हवा ले जाने वाला रास्ता सिकुड़ जाता है, जिसका दुष्परिणाम ये होता है कि सांस लेने में परेशानी होने लगती है, घरघराहट होने लगती है, सीने में जकड़न हो जाती है और खांसी हो जाती है. कोविड-19 अस्थमा मरीजों को और अधिक नुकसान पहुंचाता है. इस वायरस के संपर्क में आने से अस्थमा मरीजों को अन्य गंभीर दिक्कतें हुई हैं.

रेस्पिरेटरी वायरस जैसे कि कोविड-19 का अस्थमा मरीजों पर काफी गलत प्रभाव होने का खतरा रहता है, ये लक्षणों को और अधिक गंभीर बना देता है. जिन लोगों को अस्थमा की ज्यादा प्रॉब्लम रहती है उन्हें कोविड-19 के गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है. इससे फेफड़ों पर सूजन आने और सांस की नलिका में रुकावट पैदा होने का डर रहता है. कोविड-19 से संक्रमित अस्थमा मरीजों में निमोनिया, फाइब्रोसिस या अन्य रेस्पिरेटरी बीमारी होने की भी आशंका रहती है.

इस तरह के मामलों में मरीजों को हमेशा अपने पास इनहेलर रखना चाहिए, ब्रोंकोडाइलेटर और अन्य संबंधित दवाइयां अपने पास रखनी चाहिए. कोवि-19 के चलते होने वाले बोंकोस्पैज्म के एक्यूट अटैक से बचाव के लिए नेबुलाइजर काफी लाभदायक रहता है. अगर किसी मरीज के सीने में कुछ फंसने जैसी शिकायत रहती है तो उसे स्टेरॉयड के साथ या उसके बिना इनहेलर और नेबुलाइजेशन राहत देने में काफी अहम रहता है.

अस्थमा के सभी मरीजों के लिए टीकाकरण जरूरी है, भले ही वे पहले कोविड-19 से संक्रमित रहे हों. टीका लगवाने से मरीजों को वायरस के संपर्क में आने से रोका जा सकेगा और किसी भी प्रचलित लक्षण की गंभीरता को कम किया जा सकेगा. जिन मरीजों को वैक्सीन से एलर्जी होने की आशंका रहती है, उन्हें इसे लेने से पहले डॉक्टर से जरूर परामर्श करना चाहिए.

 

कैसे करें खुद का बचाव 

अस्थमा मरीजों के लिए बचाव के उपाय करना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. जब घर से बाहर निकलना हो तो N95 मास्क पहनें, धूम्रपान न करें, आउटडोर एक्सरसाइज करने से बचें, सांस की एक्सरसाइज पर ज्यादा ध्यान दें, घर के अंदर योग करें. जो जरूरी दवाईयां हैं वो अपने पास रखें, हेल्दी डाइट लें जिसमें पोषक तत्व हों, प्रोटीन हों, सीने की फांस से बचाव के लिए दिन में दो बार भाप लें, एंग्जाइटी और स्ट्रेस लेवल को बैलेंस करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाएं.

हालांकि, इन सबकी जानकारी होने के बावजूद कुछ लोग एहतियाती कदम नहीं उठा पाते हैं. इसका एक कारण ये भी होता है कि लोग समझ ही नहीं पाते कि उन्हें जो समस्या हुई है वो अस्थमा के कारण है या कोविड के कारण. इस बारे में बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नई दिल्ली में चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिजीज के सीनियर डायरेक्टर व एचओडी डॉक्टर संदीप नायर ने बताया, ‘’जिन लोगों को सांस लेने में समस्या होती है उन्हें कई बार कोविड और अस्थमा अटैक को लेकर कंफ्यूजन हो सकता है. कोविड संक्रमित लोगों में जो सबसे बड़ा लक्षण नजर आता है वो बुखार, गला सूखना, सिरदर्द या खांसी नहीं, बल्कि सांस उखड़ना होता है. ऐसी स्थिति में, सबसे अच्छी चीज ये है कि इनहेलर का इस्तेमाल करें ताकि अस्थमा अटैक को भी कंट्रोल किया जा सके.

अस्थमा मरीजों के कोविड से संक्रमित होने की स्थिति में, इनहेलर के रूप में ब्रोन्कोडायलेटर के साथ-साथ अन्य दवाओं को शेड्यूल के अनुसार जारी रखा जाना चाहिए. नेबुलाइजर/इनहेलर फिर से कोविड प्रेरित ब्रोंकोस्पास्म्स से निपटने में बहुत उपयोगी है. अस्थमा के रोगी सीने में जमाव और सांस की तकलीफ को कम करने में मदद करने के लिए स्टेरॉयड के साथ या बिना स्टेरॉयड के आसानी से नेबुलाइजेशन का उपयोग कर सकते हैं.’’

डॉक्टर नायर ने टीकाकरण पर भी जोर दिया और बताया, ‘’सभी अस्थमा मरीजों को टीका जरूर लगवाना चाहिए ताकि वो इससे होने वाली अन्य घातक परेशानियों से खुद को बचा सकें. टीकाकरण से सिर्फ वायरस से बचाव में मदद नहीं मिलेगी बल्कि अगर मरीज कोविड से संक्रमित हो जाए तो वैसी स्थिति में हालात को गंभीर होने से बचाने में भी इससे मदद पहुंचेगी. हालांकि, जिन लोगों को टीका लगवाने के चलते किसी भी तरह की एलर्जी या रिएक्शन हुआ हो उन्हें डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए.

अस्थमा के मरीजों के टीका बहुत ही जरूरी है क्योंकि अब कोविड उन मरीजों पर ज्यादा असर कर रहा है कि जिन्हें अस्थमा, सीओपीडी, हार्ट या किडनी से जुड़ी समस्याएं हैं और वो लोग पूरी तरह से वैक्सीनेटेड नहीं हैं.

अस्थमा के दूसरे अटैक से बचने के लिए अपने ट्रिगर को जानना महत्वपूर्ण है. कई लोग अस्थमा को एक गंभीर स्थिति नहीं मानते हैं, लेकिन ये अन्य संक्रमणों से भी ज्यादा मुश्किल हो सकता है. इसलिए सभी अस्थमा रोगियों को आवश्यक सावधानी बरतने और खुद को सुरक्षित रखने के लिए दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए. अगर अस्थमा के मरीज को नियमित रूप से अपनी दवा लेते हैं तो उनके लिए चिंता की कोई बात नहीं है, वो एक स्वस्थ और सामान्य व्यक्ति की तरह ही अपना जीवन आगे चलाते रहेंगे.