प्रयागराज, यूपी। नई दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने कार्डियक साइंस के क्षेत्र में हुए मेडिकल एडवांसमेंट के बारे में लोगों को अवेयर किया। अस्पताल की कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) यूनिट ने आज प्रयागराज के यूनाइटेड मेडिसिटी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में अवेयरनेस सेशन आयोजित किया।
इस सेशन को मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत के सीटीवीएस यूनिट के वाइस चेयरमैन और हेड डॉक्टर रजनीश मल्होत्रा ने संबोधित किया, जिन्होंने कार्डियक विज्ञान के क्षेत्र में हुई महत्वपूर्ण तरक्की पर प्रकाश डाला। मैक्स अस्पताल साकेत एक समर्पित कार्डियक सर्जरी टीम के साथ बाल चिकित्सा से लेकर बुजुर्गों तक सभी उम्र के मरीजों के लिए कार्डियो वैस्कुलर का इलाज मुहैया कराता है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत के सीटीवीएस यूनिट के वाइस चेयरमैन और हेड डॉक्टर रजनीश मल्होत्रा ने इस मौके पर कहा, “हमारा टारगेट मरीजों और उनके परिवारों को बीमारी के डायग्नोज और इलाज के दौरान बेहतर से बेहतर सुविधा मुहैया कराना है। यहां नियमित कार्डियक सर्जरी से आगे बढ़कर उन्नत तरीके से रोबोटिक कार्डियक सर्जरी, मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाओं और नॉन-इनवेसिव कार्डियक सर्जरी जैसी प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं। इलाज के इन नए तरीकों का मरीजों को बहुत लाभ पहुंचा है। बेहतर परिणाम आते हैं, अस्पताल में कम रहना पड़ता है, त्वचा पर कम से कम निशान आते हैं और अस्पताल से जल्दी डिस्चार्ज हो जाते हैं। मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत को भारत में कोरोनरी आर्टरी सर्जरी, कार्डियक वाल्व प्रक्रियाओं और थोरैसिक एओर्टा / आर्क सर्जरी के लिए जाना जाता है इनोवेशन और मॉडर्न तकनीक के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के साथ, हम कार्डियक साइंस की सीमाओं को आगे बढ़ाने और मरीज के लिए बेहतर रिजल्ट लाने की कोशिशों को यूं ही जारी रखना चाहते हैं।
वही डॉक्टर रजनीश आगे कहते हैं, “वाल्व रिप्लेसमेंट के लिए आजकल नॉन-इनवेसिव तरीके अपनाए जा रहे हैं जिनमें ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (TAVI) और माइट्राक्लिप प्रक्रियाएं आजकल हाई सर्जिकल रिस्क और बुजुर्ग मरीजों व कमजोर मरीजों के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। इनसे ब्लड फ्लो सुधरता है, लक्षण कम होते हैं, एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस और माइट्रल वाल्व लीकेज से जुड़ी समस्याएं भी कम होती हैं। आर्टरी में स्टेंट लगाने की तुलना में टीएवीआई कैथेटर का उपयोग करके वाल्व लगाया जाता है। यह दर्द रहित और निशान रहित होता है और मरीज को अस्पताल में भी कम वक्त ही रहना पड़ता है।
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