रोहतक, 20 जुलाई : किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर फैले भ्रम को दूर करने और इस क्षेत्र में हुई मेडिकल तरक्की और उनके लाभ के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग, नई दिल्ली ने आज रोहतक में अवेयरनेस सेशन आयोजित किया.
इस मौके पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग में नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन के डायरेक्टर डॉक्टर मनोज अरोड़ा, नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन के प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉक्टर योगेश छाबड़ा और यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन के डायरेक्टर डॉक्टर वहीदुज़्ज़मा मौजूद रहे.
इन विशेषज्ञों ने किडनी के स्वास्थ्य और क्रोनिक किडनी डिजीज के इलाज के लिए हुए हालिया एडवांसमेंट के बारे में जानकारी साझा की.किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़े मिथ्यों और भ्रमों को लेकर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग में नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन के डायरेक्टर डॉक्टर मनोज अरोड़ा ने कहा, ”क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) से पीड़ित रोगियों की संख्या पिछले एक दशक में लगभग दोगुनी हो गई है और तेजी से बढ़ रही है. भारत में लगभग 10% एडल्ट आबादी किसी न किसी प्रकार की किडनी की बीमारियों से ग्रसित है. डायबिटीज और हाइपरटेंशन इस खतरे को और बढ़ा रहे हैं जिनके कारण 60% से अधिक क्रोनिक किडनी डिजीज के मामले सामने आ रहे हैं. इस तरह के खतरनाक आंकड़ों के साथ किडनी से जुड़े मामले और भी बढ़ने की आशंका है.
”मैक्स अस्पताल शालीमार बाग में नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन के प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉक्टर योगेश छाबड़ा ने कहा, ”बीमारी के लास्ट स्टेज में जहां मरीज नियमित डायलिसिस पर होता है और किडनी की रिकवरी का कोई विकल्प नहीं बचता है वैसी स्थिति में किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है. इसके लिए नेफ्रोलॉजिस्ट डोनर और रिसीवर दोनों की फिटनेस देखते हैं ताकि रिजल्ट बेहतर आ सके. ज्यादातर मामलों में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के चलते किडनी डैमेज होने का खतरा रहता है और कभी-कभी ऑटोइम्यून बीमारियों या ग्लोमेरूलर रोग के मामले में भी किडनी डैमेज हो जाती है. बीमारी का समय पर डायग्नोज क्रोनिक किडनी डिजीज के इलाज में बेहद अहम है. समय पर स्क्रीनिंग कराते रहने से रोग के एडवांस स्टेज में पहुंचने के चांस कम होते हैं जहां डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट ही विकल्प बचता है. हालांकि, भविष्य के हिसाब से देखा जाए तो रेगुलर होने वाले डायलिसिस से सस्ता किडनी ट्रांसप्लांटेशन रहता है.
”मैक्स अस्पताल शालीमार बाग में यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन के डायरेक्टर डॉक्टर वहीदुज़्ज़मा ने इस मौके पर बताया, ”रोबोटिक्स और लेप्रोस्कोपी के एडवांसमेंट से किडनी ट्रांसप्लांटेशन के मामले में क्रांति आई है. इनकी मदद से कम से कम परेशानियों में आसान प्रक्रिया से ट्रांसप्लांट हो जाता है. रोबोट असिस्टेड सर्जरी की मदद से सर्जरी के बाद होने वाली समस्याएं खत्म हो गई हैं क्योंकि अब सर्जरी ज्यादा बेहतर और सुरक्षित हो गई है. रोबोट की मदद से किए जाने वाले किडनी ट्रांसप्लांटेशन में मरीज की तुरंत रिकवरी होती है, दर्द कम होता है, दाग छोटा होता है और मरीज जल्दी ठीक होता है.”जानकारी का अभाव इस बीमारी को और ज्यादा घातक बना देता है. इसीलिए मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग ने आज रोहतक में ये अवेयरनेस सेशन आयोजित किया और लोगों को किडनी ट्रांसप्लांटेशन के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की गई ताकि लोग किडनी से जुड़ी बीमारियों में सही फैसला ले सकें.
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