बहादुरगढ़। वल्र्ड हार्ट डे को लेकर मैक्स अस्पताल शालीमार बाग की ओर से हार्ट अटैक, उसके लक्षणों, कारणों और समय पर इलाज की भूमिका पर एक जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डा. चंद्रशेखर ने हृदय रोग से बचाव को लेकर जानकारी भी बताई। कार्डियोलाजिस्ट डा. चंद्रशेखर ने भारत में बढ़ रहे दिल के मामलों के बारे में जानकारी दी।
बहादुरगढ़ के एक होटल में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत में कुल को-मोरबिडिटी और समय से पहले होने वाली मौतों में से कम से कम 50 फीसदी मौतें दिल की बीमारियों के कारण होती हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि हर 4 मौतों में से एक को हल्के लक्षणों की जानकारी न होने की वजह माना जाता है और ये पुरुषों व महिलाओं दोनों में मृत्यु दर का प्रमुख कारण बन जाता है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर मरीज शुरुआती लक्षणों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। जैसे सीने में दर्द, दबाव, या भारीपन (एनजाइना का संकेत), जबड़े, बाएं कंधे, बाहों, कोहनी, या पीठ में दर्द, सांस की तकलीफ (डिस्पेनिया), पसीना, मतली, थकान, हल्का सिर झुकाना, या बेहोशी जैसे लक्षणों को लोग दरकिनार कर देते हैं. हालांकि, दिल के अलग-अलह मरीजों में ये लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। कई मरीज जिन्हें बार-बार हार्ट अटैक आता है या कार्डियोमायोपैथी को पतला करते हैं, ऐसे मरीजों का अंतत: हार्ट फेल हो जाता है। दिल से जुड़ी बीमारियों जैसे जन्मजात दोष, वाल्व समस्याएं, आर्टरी ब्लॉकेज और लाइफस्टाइल डिसऑर्डर जैसी हार्ट समस्याओं में काफी बढ़ोतरी हुई है. लगभग सभी उम्र के लोग चपेट में आ रहे हैं.
एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (एसीएस), जिसे आम भाषा में हार्ट अटैक कहा जाता है, भारत जैसे विकासशील देशों में एक बड़ी चिंता का विषय बना है। उन्होंने कहा कि हार्ट अटैक के लक्षणों के बाद तुरंत इलाज कराना चाहिए। इससे समस्याएं कम करने में मदद मिलेगी और दिल सुचारू रूप से काम करता रहेगा। हार्ट अटैक और हार्ट फेल से बचने का सबसे बेहतर उपाय स्वस्थ जीवनशैली और खान-पान है जिससे मोटापा भी सीमित रहेगा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल होगा।
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