बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन अब हर मरीज के लिए मुमकिन, खून के मरीजों के लिए नई उम्मीद

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बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन अब हर मरीज के लिए मुमकिन, खून के मरीजों के लिए नई उम्मीद

बहादुरगढ़: बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) में माहिर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग (नई दिल्ली) के डॉक्टरों ने खून से संबंधित समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक किया और जीवन बचाने वाले इलाज के विकल्पों की जानकारी दी. साथ ही गलत धारणाओं को दूर करते हुए नए ट्रीटमेंट विकल्पों के बारे में बताया.

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग में हेमेटो-ऑन्कोलॉजी एंड बीएमटी विभाग में सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमृता रामास्वामी ने कहा, ''एक्यूट ल्यूकेमिया और गंभीर एप्लास्टिक एनीमिया जिन्हें पहले जानलेवा समझा जाता था, उनका इलाज अब एलोजेनिक बोन मैरा ट्रांसप्लांटेशन के जरिए किया जा सकता है. इसके अलावा थैलेसीमिया मेजर और सिकल सेल डिजीज के मरीजों को भी इससे ठीक किया जा सकता है और लोगों को आसान जीवन आसान बनाया जा सकता है. ट्रांसप्लांटेशन दो प्रकार से किया जाता है. एलोजेनिक जिसमें संबंधित या असंबंधित डोनर होते हैं और ऑटोलोगस जिसमें मरीज की अपने शरीर से ही स्टेम सेल लिए जाते हैं.

डॉक्टर अमृता रामास्वामी ने आगे कहा, 'एलोजेनिक बीएमटी में खराब या रोग ग्रस्त बोन मैरो को स्वस्थ मैरो से रिप्लेस किया जाता है. इसमें सबसे बड़ी चुनौती मैचिंग डोनर का मिलना है. हालांकि, हाल के वक्त में तरक्की हुई है और हेपलोआइडेंटिकल ट्रांसप्लांटेशन के जरिए 50 फीसदी मैचिंग से ही ट्रांसप्लांटेशन कर लिया जाता है. आमतौर पर परिवार में हर सदस्य का हाफ मैच डोनर मिल जाता है इसलिए ये प्रक्रिया आसान हो जाती है. ये हाफ मैच डोनर मरीज के पिता, माता, बेटा-बेटी या कजिन भी हो सकते हैं. इस प्रक्रिया के आने से उन मरीजों का इंतजार खत्म हो गया है जिनके माता-पिता या भाई-बहन के हाफ मैच डोनर होते थे.''

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग में हेमेटो-ऑन्कोलॉजी एंड बीएमटी विभाग वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से लैस है. यहां बीएमटी के लिए स्टेट ऑफ आर्ट सुविधाएं जैसे एचईपीए-फिल्टर्ड रूम, स्पेशलाइज्ड डॉक्टर, समर्पित नर्स, ब्लड बैंक और इंटेंसिव केयर सपोर्ट किफायती खर्च पर मिलती हैं.