तापमान गिरने से बढ़ जाती है हार्ट की समस्याएं, सर्दियों में ऐसे रखें अपने दिल का ख्याल

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तापमान गिरने से बढ़ जाती है हार्ट की समस्याएं, सर्दियों में ऐसे रखें अपने दिल का ख्याल

सोनीपत: भारत में हार्ट डिजीज मृत्यु दर और बीमारी का एक प्रमुख कारण है, और कम से कम 25% मामले हल्के लक्षणों को इग्नोर करने की वजह से होते हैं. मौजूदा वक्त में दिल की बीमारी के मामले काफी बढ़ रहे हैं और सर्दियों में इनमें और तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है.


दिल की बीमारी के शुरुआती लक्षणों की पहचान करना काफी अहम होता है क्योंकि बीमारी का जल्दी पता लगने से वक्त पर इलाज हो जाता है और रिजल्ट मरीज के पक्ष में आते हैं. अगर किसी को सीने में भारीपन, बेचैनी या सांस लेने में परेशानी होती है तो डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है.


सर्दी में हार्ट के मामले और बढ़ जाते हैं. इसका कारण ये होता है कि सर्दियों में बॉडी टेंपरेचर को बनाए रखने के लिए ब्लड वेसल्स टाइट हो जाती हैं. इस प्रक्रिया में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, और हार्ट पर दबाव अधिक हो जाता है. सर्दियों में बॉडी को गर्म रखने के लिए खाने की ज्यादा क्रेविंग होती है और लोग जंक फूड खाना भी ज्यादा पसंद करते हैं. इससे शरीर के ज्यादा कैलोरी इनटेक होता है, दूसरी तरफ सर्दी में फिजिकल एक्टिविटी तुलनात्मक तौर पर कम होती है, जिससे आलस बढ़ता है, वजन बढ़ता है, बेड कोलेस्ट्रॉल और लिपिड लेवल में वृद्धि होती है. इस सबके कारण हार्ट पर लोड बढ़ जाता है, उसके काम पर असर पड़ता है, बॉडी फंक्शन को सुचारू रखने के लिए दिल को ज्यादा हार्ड और फास्ट पंप करना पड़ता है.

तापमान गिरने से बढ़ जाती है हार्ट की समस्याएं, सर्दियों में ऐसे रखें अपने दिल का ख्याल

हार्ट डिजीज के हर मरीज के लक्षण एक जैसे नहीं होते हैं. लक्षण बहुत ही माइल्ड से गंभीर तक कुछ भी हो सकते हैं. कुछ लोगों को सिर्फ असहज फील होता है, थोड़ा डाइजेशन बिगड़ जाता है जबकि कुछ लोगों को सीने में दर्द के साथ भारीपन, जकड़न हो सकती है जिससे बांह, नेक, जबड़े या पेट तक दर्द हो सकता है, धड़कनें तेज हो सकती हैं और सांस लेने में परेशानी हो सकती है. रोग का अर्ली स्टेज में पता लग जाने से इलाज जल्दी शुरू हो जाता है और हार्ट अटैक को शुरुआती कुछ घंटों में ही मैनेज किया जा सकता है. 


मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग में सीनियर डायरेक्टर व एचओडी डॉक्टर नवीन भामरी ने कहा, ''दिल को स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचाने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव बेहद अहम है. इसके अलावा दवाओं और नॉन-इनवेसिव इलाज के जरिए भी हार्ट डिजीज को मैनेज किया जा सकता है. खाने-पीने की आदतों में बदलाव, हेल्दी व बैलेंस डाइट, फिजिकली एक्टिव, रेगुलर एक्सरसाइज, नो स्मोकिंग और शुगर व ब्लड कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करके भी दिल को स्वस्थ रखा जा सकता है. अगर किसी को हार्ट फेल होता है या कार्डियो वैस्कुलर डिजीज होती है, तो इसका मतलब है आपका हार्ट उतना स्वस्थ नहीं है, जितना होना चाहिए.''


मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग में कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) के प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉक्टर दिनेश चंद्रा ने कहा, ''वैल्वुलर हार्ट डिजीज भी लाइफ थ्रेटनिंग होती हैं जिनमें वाल्व रिप्लेसमेंट लास्ट उपाय बचता है. हाल में काफी प्रगति हुई है. लीकिंग हार्ट वाल्व की रिपेयरिंग के लिए कैथेटर आधारिक माइत्रा क्लिप का इस्तेमाल किया जाता है और इसमें सर्जरी की जरूरत भी नहीं पड़ती. अगर इस तरह के मामलों में इलाज न किया जाए तो दिल का साइज बढ़ जाता है, सांस की समस्या हो जाती है, यहां तक कि हार्ट फेल की स्थिति भी आ जाती है. कार्डियक सर्जरी अब काफी एडवांस हो गई है. यह मिनिमली इनवेसिव होती है, इसमें ऑपरेशन के बाद बहुत ही छोटा कोर्स होता है और दर्द फ्री होता है. गंभीर हार्ट फेल की स्थिति में ईसीएमओ और एलवीएडी जैसे इलाज से एंड स्टेज के हार्ट मरीजों को भी नया जीवन मिला है.''


मैक्स सुपर स्पेशलिटी शालीमार बाग अपने अनुभवी डॉक्टरों और स्टेट ऑफ आर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी का वर्ल्ड क्लास इलाज मुहैया करा रहा है. यहां ऐसे सर्जनों की टीम है जो एडल्स और कंजैनिटल हार्ट डिजीज के मामले में सर्जरी करने में सक्षम है. इनमें सीएबीजी-रेडो, कार्डियक वाल्व रिप्लेसमेंट, कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी), हार्ट डबल वाल्व रिप्लेसमेंट (दिल में छेद जैसे एएसडी, वीएसडी, टीओआई, पीडीए सीओए) शामिल है.


लक्षणों का सही वक्त पर पता लगाने और तुरंत अस्पताल पहुंचने से हालात को कंट्रोल किया जा सकता है और हार्ट फंक्शनिंग को मेंटेन रखा जा सकता है. हार्ट अटैक और हार्ट फेल को रोकने का एकमात्र और आसान तरीका लाइफस्टाइल को बेहतर रखना, खाने-पीने की ऐसी आदतों से बचना जो मोटापा, डायबिटीज, और हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ाए.