हार्ट अटैक जैसी इमरजेंसी बन सकती है जानलेवा, कुछ सावधानियां बरतकर किया जा सकता है बचाव

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हार्ट अटैक जैसी इमरजेंसी बन सकती है जानलेवा, कुछ सावधानियां बरतकर किया जा सकता है बचाव

हार्ट अटैक जैसी इमरजेंसी बन सकती है जानलेवा, कुछ सावधानियां बरतकर किया जा सकता है बचाव

दिल से जुड़ी कंडीशन की इमरजेंसी जानलेवा होती है, लिहाजा इनकी समय पर पहचान करके इलाज कराने की जरूरत है ताकि बीमारियों और मौत की घटनाओं से बचाव हो सके. दिल की दिक्कतें बताने वाले कई तरह के लक्षण होते हैं जिनकी पहचान कर तुरंत इलाज कराना आवश्यक होता है।

दिल से संबंधित इमरजेंसी मामलों में हार्ट अटैक (मायोकार्डियल इन्फार्कशन ), कार्डियोपल्मोनरी अरेस्ट, स्ट्रोक, अनस्टेबल एनजाइना, हार्ट फेल, हाइपरटेंसिव इमरजेंसी, डीप वेन थ्रोम्बोसिस और पल्मोनरी एम्बोलिज्म जैसी स्थितियां आती हैं. "मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत (नई दिल्ली) में कार्डियक साइंसेज के प्रिंसिपल डायरेक्टर और चीफ ऑफ कैथ लैब्स (पैन मैक्स) डॉ विवेका कुमार ने बताया कि हार्ट अटैक और स्ट्रोक दिल से जुड़े मामलों में काफी आम हैं जिसमें तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत होती है।

हार्ट अटैक के वार्निंग साइन का पता होने से जिंदगियां बचाई जा सकती हैं. हार्ट अटैक के जो कुछ कॉमन लक्षण होते हैं उनमें सीने में परेशानी, सीने पर दबाव और टाइटनेस, चेस्ट पेन के साथ लेफ्ट आर्म में दर्द, सीने के बीच में गंभीर दर्द, दोनों हाथों, जबड़ों कमर और पेट में दर्द, चक्कर आना या

बेहोशी, सांस फूलना या सांस की तकलीफ, पसीना, हार्ट बीट में तेजी, फेंट हार्टबीट शामिल है।


कार्डियक अरेस्ट के कुछ मरीज ऐसे भी हो सकते हैं जो बेहोश हों, पल्स कम हो रही हो, हार्ट रेट बढ़ा हो, हार्टबीट असामान्य हो, सांस में कठिनाई हो रही हो, अचानक गिर जाएं, सांस न आए, और सीने में असहजता हो रही हो. स्ट्रोक के वार्निंग साइन में चेहरा मुंह और आंख एक तरफ झुक जाना भी होता है. इसके अलावा हाथ सुन्न पड़ जाना या कमजोर पड़ना, दोनों हाथों को उठाने और उन्हें रखने में असमर्थता, स्पष्ट न बोल पाना, दिमागी तौर पर कंफ्यूजन, बातचीत समझने में परेशानी, चलने में समस्या, चक्कर आना और संतुलन बिगड़ना, बेहोशी और गंभीर सिरदर्द शामिल हैं. एंड ऑर्गन में डैमेज के साथ ब्लड प्रेशर में अचानक बढ़ोतरी होने पर हाइपरटेंसिव इमरजेंसी की स्थिति बन जाती है. हाइपरटेंसिव इमरजेंसी में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 180 मिलीमीटर से ज्यादा होता है और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 120 मिलीमीटर से ज्यादा होता है. हाई ब्लड प्रेशर की वजह से हार्ट, किडनी, ब्रेन और दिमाग जैसे मुख्य अंग डैमेज होने का खतरा रहता है जिसकी वजह से हेल्थ इमरजेंसी पैदा हो जाती है।


अगर किसी व्यक्ति में ऊपर बताए गए लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत मेडिकल मदद लेनी चाहिए. ऐसी स्थिति में कार्डियक इमरजेंसी में दिखाने से मौत के खतरे को टाला जा सकता है. हार्ट अटैक, स्ट्रोक और पल्मोनरी एम्बोलिज्म का अगर समय पर इलाज किया जाए तो मृत्यु दर को रोका जा सकता है और मरीज के जीवन को बढ़ाया जा सकता है. लेकिन हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले में समय बहुत अहम होता है. जितनी जल्दी इलाज मिलता है, उतना ही अच्छा रिजल्ट आता है। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी), पॉइंट ऑफ केयर इको कार्डियक बायोमेकर्स और हीमोडायनेमिक का मूल्यांकन कुछ ऐसे शुरुआती स्टेप हैं जिनकी मदद से कार्डियक इमरजेंसी को समझा जा सकता है और समय पर इलाज शुरू हो सकता है।