महिला के पेट से निकाला गया 3.5 किलो का ओवेरियन सिस्ट, सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम में की गई सफल सर्जरी

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महिला के पेट से निकाला गया 3.5 किलो का ओवेरियन सिस्ट, सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम में की गई सफल सर्जरी

3.5 kg ovarian cyst removed from woman's stomach, successful surgery done at CK Birla Hospital Gurugram

सीके बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम के डॉक्टरों की डेडिकेटेड और मल्टी डिसीप्लिनरी टीम ने लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के जरिए एक मरीज की 3.5 किलो की ओवेरियन सिस्ट को सफलतापूर्वक निकाला. 32 वर्षीय इस महिला मरीज की हाल में ही शादी हुई थी और उनकी कोई प्रेगनेंसी नहीं थी. फर्टिलिटी और ओपन सर्जरी की कॉम्प्लिकेशंस की चिंता के कारण महिला ने प्रेग्नेंसी का अन्य विकल्प चुना था.

महिला को ओवेरियन सिस्ट डायग्नोज हुआ जो 8 महीने की प्रेगनेंसी जितना और 34 हफ्ते के गर्भधारण की अवधि के बराबर था. कई डॉक्टरों ने उन्हें ओपन सर्जरी का सुझाव दिया लेकिन अपनी उम्र देखते हुए और ओपन सर्जरी से बचते हुए महिला मरीज ने लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का विकल्प चुना.

जिस साइज का ओवेरियन सिस्ट था, उस पर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करना अपने आप में चुनौतीपूर्ण था. साइज इतना था कि उसने लगभग पूरी एब्डोमिनल कैविटी और पेल्विस को कवर कर लिया था, और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए उपकरण भेजने की बहुत ही कम जगह बची थी, जिसके चलते चुनौती ज्यादा थीं. मरीज को सर्जरी के दौरान सही पोजीशन में लाया गया, और एनेस्थीसिया टीम में पूरे सर्जरी के दौरान महिला की सही पोजिशन बनाए रखने में काफी अहम रोल निभाया.

इस केस में सर्जरी करने वाली सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम में ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी की डायरेक्टर डॉक्टर अंजलि कुमार ने बताया, ''टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक था सिस्ट का रिसाव, जो अगर बाहर आता तो मुश्किलें पैदा कर सकता था. इस चुनौती से पार पाने के लिए सर्जिकल टीम ने सावधानीपूर्वक सर्जरी को अंजाम दिया, सिस्ट के रिसाव को रोकने के लिए एडवांस तकनीकों का उपयोग किया गया. सिस्ट को सही ढंग से खाली कर दिया गया, पूरा सिस्ट एक बड़े एंडोबैग में निकाल दिया गया और ये सुनिश्चित किया गया कि इसके चलते कुछ और परेशानी न हो.''

इस पूरी सर्जरी में करीब 3.5 लीटर सिस्टिक फ्लूड निकाला गया जिसका वजन करीब 3.5 किलो था. सफलतापूर्वक फ्लूड को ड्रेन कर दिया गया, लेप्रोस्कोपी के जरिए सिस्ट को बाहर निकाल दिया गया. फ्रोजन सेक्शन की रिपोर्ट से यह भी पता चला कि सिस्ट कैंसरस नहीं थी. मरीज और परिवार ने सफल इलाज पर खुशी और कृतज्ञता जाहिर की.

इस सफलता के पीछे डॉक्टर्स की मल्टी डिसीप्लिनरी टीम का शानदार कॉर्डिनेशन था. खासकर गाइनेकोलॉजिस्ट, एनेस्थिसियोलॉजिस्ट और सर्जिकल टीम ने मिलकर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के जरिए इतने बड़े सिस्ट को निकालने में कामयाबी हासिल की.

सबसे अच्छी बात ये रही कि सर्जरी के महज 2 दिन में ही मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया, जो मेडिकल टीम की अप्रोच को दिखाता है. इस केस की शानदार सफलता दिखाती है कि एडवांस तकनीक और मल्टी डिसीप्लिनरी अप्रोच के साथ मिनिमली इनवेसिव विकल्प के जरिए मरीज के लिए अच्छे रिजल्ट आते हैं और रिकवरी भी तेजी से होती है.