मेरठ,
19 जून 2024: कैंसर के मामले में
समय का बहुत महत्व
होता है. रोग का
जल्दी डायग्नोज होने पर इलाज
के अच्छे रिजल्ट आने की संभावना
बढ़ जाती है. इसी
बात पर जोर देने
के मकसद से मैक्स
अस्पताल पटपड़गंज (नई दिल्ली) के
डॉक्टरों ने आज मैक्स
मेड सेंटर मेरठ में एक
रोगी-केंद्रित जागरूकता सत्र का आयोजन
किया. इस अवसर पर
मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल,
पटपड़गंज की मेडिकल ऑन्कोलॉजी
की वाइस चेयरमैन डॉक्टर
मीनू वालिया भी मौजूद थीं.
उनके साथ 68 वर्षीय अनुराधा मारवाह और 75 वर्षीय मरीज लता शर्मा
भी थीं, जो कैंसर
के सफल इलाज के
बाद एक बेहतर जिंदगी
गुजार रही हैं.
इस सत्र में दोनों
मरीजों की यात्रा पर
प्रकाश डाला गया. मैक्स
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज में मेडिकल
ऑन्कोलॉजी की वाइस चेयरमैन
डॉक्टर मीनू वालिया ने
मरीज के बारे बताया,
''मरीज अनुराधा फरवरी 2018 में मॉडिफाइड रेडिकल
मास्टेक्टॉमी के बाद हमारे
पास आई थीं. सर्जरी
के बाद आगे की
जांच करने पर, यह
पाया गया कि वह
आक्रामक रूप वाले स्तन
कैंसर-ट्रिपल नेगेटिव स्तन कैंसर (टीएनबीसी)
से पीड़ित हैं. चुनौतियों के
बावजूद कीमोथेरेपी शुरू की गई
जो मार्च 2018 से अगस्त 2018 तक
चली. इसके बाद उनके
फॉलोअप चले और 6 वर्षों
से वो बिनी किसी
नई शिकायत के आसान जीवन
गुजार रही हैं. ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (TNBC) के खिलाफ लड़ाई
में, सही इलाज और
विशेषज्ञों की एक समर्पित
टीम मुश्किल को आसान कर
सकती है. टीएनबीसी, जिसे
स्तन कैंसर के सबसे आक्रामक
प्रकार के रूप में
जाना जाता है, इसमें
कई तरह की चुनौतियां
होती हैं. फिर भी,
एडवांस उपचारों और अत्यधिक कुशल
ऑन्कोलॉजी टीम के साथ,
हम बेहतर रिजल्ट प्राप्त कर सकते हैं.
एक वक्त वो था
जब हमारी मरीज मुश्किल में
थी, और अब वो
लॉन्ग टर्म सर्वाइवल के
साथ बेहतर भविष्य की तरफ बढ़
रही हैं. इस केस
की सफलता दर्शाती है कि भयानक
केस को भी सही
अप्रोच के साथ हराया
जा सकता है.
इसी
तरह 75 वर्षीय मरीज लता शर्मा
के केस की जानकारी
देते हुए डॉक्टर मीनू
वालिया ने कहा, ''लता
शर्मा अगस्त 2020 में दर्द और
अपने दाहिने स्तन में एक
गांठ के साथ हमारे
पास आई थी. जांच
पड़ताल के बाद स्तन
कैंसर का पता चला.
75 साल की उम्र में
कैंसर से लड़ने निर्णय
एक साहसी कदम थी. क्योंकि
इस अवस्था में अक्सर साइड
इफेक्ट्स का डर रहता
है और रूटीन लाइफ
मुश्किल होने का खतरा
भी. आमतौर पर इस आयु
वर्ग में लोग इस
तरह के ट्रीटमेंट से
बचते हैं, यहां तक
कि परिवार वाले भी संदेह
में रहते हैं. लेकिन
70 वर्ष की आयु के
बावजूद, लता शर्मा और
उनके परिवार ने आक्रामक इलाज
का विकल्प चुना. वह एक सफल
मॉडिफाइड रेडिकल मास्टेक्टॉमी से गुजरीं, उसके
बाद एडजुवेंट कीमोथेरेपी और ओरल हार्मोनल
थेरेपी की गई. महिला
मरीज के पॉजिटिव दृष्टिकोण
ने काफी अहम रोल
निभाया, और उनके लेटेस्ट
पीईटी-सीटी स्कैन में
अच्छे रिजल्ट के संकेत नजर
आए. डायग्नोसिस के चार साल
बाद 75 साल की उम्र
में, लता शर्मा एक
अच्छा जीवन गुजार रही
हैं. मरीज लता शर्मा
के सफल इलाज की
ये यात्रा दर्शाती है कि कैंसर
का सही इलाज पाने
के लिए उम्र कोई
बाधा नहीं होती. सही
सपोर्ट, सही ट्रीटमेंट अप्रोच,
डेडिकेटेड और पर्सनलाइज्ड एक्सपर्ट
केयर और एडवांस ट्रीटमेंट
की मदद से सबसे
चुनौतीपूर्ण मामलों में भी बेस्ट
इलाज दिया जा सकता
है.
अवेयरनेस
सेशन के दौरान शेयर
की गई मरीजों की
ये प्रेरणादायक कहानी अर्ली डायग्नोसिस और व्यापक ट्रीटमेंट
स्ट्रैटेजी की भूमिका को
दर्शाती है. इस सेशन
का मुख्य उद्देश्य लोगों को ये बताना
था कि कैंसर ट्रीटमेंट
के क्षेत्र में हुए एडवांसमेंट
के जरिए, मल्टी डिसीप्लिनरी अप्रोच अपनाकर, समय पर इंटरवेंशन
कर मरीज के लिए
अच्छे रिजल्ट पाए जा सकते
हैं. यहां तक कि
कैंसर के अलावा अन्य
बीमारियां होने की स्थिति
और एडवांस केस में भी
सफल इलाज किया जा
सकता है.
मैक्स
हॉस्पिटल पटपड़गंज शानदार टेक्नोलॉजी के साथ कैंसर
का इलाज करने के
लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही
अस्पताल लोगों को ये बात
समझाने के लिए लगातार
प्रयासरत है कि रोग
का समय पर पता
चलने से सही इलाज
पाकर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी
को हराया जा सकता है.
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