मरीज को शुरुआत में लगातार चिंता, दखल देने वाले विचार और कंपल्सिव बिहेवियर जैसे लक्षण अनुभव होते थे. उन्होंने गंदगी, कंटैमिनेशन और मोरैलिटी से जुड़ी आशंकाओं के बारे में भी बताया. साथ ही ताले, इलेक्ट्रॉनिक चीजों को बार-बार चेक करने की आदत थी. इन लक्षणों ने न केवल उनके रोज के कामकाज में रुकावट पैदा की, बल्कि सोसाइटी में भी वो अलग-थलग पड़ गए और लोगों से उनके रिश्ते बिगड़ने लगे. इस केस में खास बात ये है कि डिसऑर्डर की उनकी कोई फैमिली हिस्ट्री नहीं थी.
तुलसी हेल्थकेयर के फाउंडर डायरेक्टर डॉक्टर गौरव गुप्ता ने बताया, ”तुलसी हेल्थकेयर में हम ओसीडी मरीजों को उनकी कंडीशन के हिसाब से ट्रीट करते हैं. इस युवा डॉक्टर का सफल केस हमारे कॉम्प्रिहेंसिव मॉडल के प्रभाव को दर्शाता है जिसमें कॉग्निटिव बिहेवेरियल थेरेपी (सीबीटी), एक्सपोजर एंड रिस्पांस प्रिवेंशन (ईआरपी) और डीप ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (डीटीएमएस) शामिल है. काउंसलिंग सेशन में मरीज के सोचने के तरीके में बदलाव लाने पर फोकस किया जाता है और इसके लिए कॉग्निटिव बिहेवेरियल थेरेपी (सीबीटी) और एक्सपोजर एंड रिस्पांस प्रिवेंशन (ईआरपी) का इस्तेमाल किया गया. दिमाग के जिस हिस्से से ओसीडी पनपता है उसे टारगेट करने के लिए डीप ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (डीटीएमएस) का इस्तेमाल किया गया और 30 सेशंस के हालत में सुधार आ गया. इसके अलावा सकारात्मक सोच और आत्म-जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए योग और माइंडफुलनेस प्रक्रिया कराई गई.”
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) एक दिमागी बीमारी है जिसमें जुनूनी विचार आते हैं और इंसान खुद पर काबू खोने लगता है. ये लक्षण पीड़ित के रोजमर्रा के काम को प्रभावित कर सकते हैं और उसकी क्षमताओं को कम करते हैं. पूरी दुनिया में 1-2 फीसदी आबादी ओसीडी से प्रभावित होती है. ये कंडीशन कई बार अचानक पैदा हो जाती है, ऐसे में बिना विशेषज्ञ की मदद इसका डायग्नोज व इलाज चुनौतीपूर्ण रहता है.
डॉक्टर गौरव ने आगे कहा, ”ओसीडी से रिकवरी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, और युवा डॉक्टर के इस केस में, मरीज ने शुरू में थेरेपी गोल्स को समझने में काफी संघर्ष किया. हालांकि, हमारे पूरे स्टाफ की मदद से मरीज के अंदर काफी सुधार आया. वह अब आफ्टर केयर वाले फेज में हैं, जहां ऑनगोइंग प्रक्रियाओं का फायदा मिल रहा है, साथ ही किसी भी तरह की चिंता को दूर करने के लिए ग्रुप सेशंस में हिस्सा ले रहे हैं. उनके कंपल्सिव बिहेवियर में काफी कमी आई है, एंग्जाइटी भी घटी है और जिन कामों से वो बचने लगे थे, अब उनमें नए सिरे से शामिल हो रहे हैं.”
तुलसी हेल्थकेयर में हमारी टीम ओसीडी से ग्रसित लोगों को हाई लेवल की केयर मुहैया करती है. एडवांस थेरोपैटिक तकनीक और पर्सनलाइज्ड केयर के जरिए हमारा उद्देश्य मरीजों को उनकी मेंटल कंडीशन में सुधार लाने में मदद करना है. जो भी लोग इस तरह के लक्षणों का अनुभव करते हैं, उनसे हम कहना चाहते हैं कि वो एक्सपर्ट डॉक्टर की मदद लें.
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