लखनऊ। डॉक्टरों ने दुर्लभ कैंसर से पीड़ित छ: साल की बच्ची प्रीति मिश्रा का सफल इलाज किया। ये बच्ची दुर्लभ और आक्रामक समझे जाने वाले इविंग सार्कोमा बोन कैंसर से पीड़ित थी। ये ऐसी स्थिति है जो हर साल लाख बच्चों में से महज तीन या उससे भी कम को अपनी चपेट में लेती है। मस्कुलोस्केलेटल ऑन्कोलॉजी में सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर अक्षय तिवारी के नेतृत्व में ये इनोवेटिव ट्रीटमेंट किया गया जिससे वो न सिर्फ कैंसर फ्री हो गईं,बल्कि बच्ची के कंधे ने भी काम शुरू कर दिया जिससे उसकी लाइफ आसान हो गई।
सितंबर को दुनियाभर में चाइल्डहुड कैंसर अवेयरनेस महीने के रूप में देखा जाता है। मैक्स हॉस्पिटल साकेत में मस्कुलोस्केलेटल ऑन्कोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर अक्षय तिवारी ने अवेयरनेस बढ़ाने के उद्देश्य से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी और इसमें उनके साथ बच्ची के पिता भी मौजूद रहे। यहां केस के बारे में डिस्कस किया गया और इस रेयर बोन कैंसर के बारे में जानकारियां साझा की गई।
मैक्स हॉस्पिटल साकेत में मस्कुलोस्केलेटल ऑन्कोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर अक्षय तिवारी ने केस के बारे में बताया, ''लखनऊ की रहने वाली 6 साल की बच्ची प्रीति के कंधे में पिछले साल सूजन आ गई थी। परिवार ने पहले सोचा कि कोई चोट लगी होगी और कुछ समय इसका इलाज नहीं कराया गया। लेकिन जब सूजन बढ़ने लगी, तब परिवार को चिंता हुई जिसके बाद उन्होंने मेडिकल टेस्ट कराए जिसमें बोन कैंसर का शक समझा गया। बायोप्सी होने पर इविंग सार्कोमा कैंसर होने का पता चला जो एक दुर्लभ और आक्रामक किस्म का बोन कैंसर होता है। परिवार के लिए ये जानकारी काफी परेशान करने वाली थी लेकिन बाद में जब गहन जांच-पड़ताल की गईं तो पता चला कि कैंसर फैला नहीं है, जिससे ठीक होने की उम्मीद जगी. फैमिली ने कीमोथेरेपी का इलाज शुरू कराया, लखनऊ के अस्पताल में ही 6 साइकिल पूरे किए गए। शोल्डर ब्लेड (स्कैपुला) को हटाने के लिए सर्जरी करने की आवश्यकता थी, लेकिन दूसरी तरफ प्रीति के कंधे के मूवमेंट की चिंता थी. इस पशोपेश में फंसने के बाद परिवार ने सेकंड ओपिनियन के लिए मैक्स साकेत का रुख किया.
डॉक्टर अक्षय तिवारी ने आगे बताया, ''प्रीति का मामला खासकर इसलिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण था क्योंकि कैंसर की हड्डी को हटाने के लिए रेडिकल सर्जरी की आवश्यकता थी और इतने छोटे बच्चे पर इसका गलत प्रभाव भी हो सकता था. टारगेट सिर्फ बीमारी को खत्म करना नहीं था, बल्कि बच्ची के कंधे के मूवमेंट को भी बचाना था. हमारी टीम ने प्रीति के परिवार को क्रायोथेरेपी और रिसाइकल्ड ट्यूमर बोन के री-इम्प्लांटेशन के बारे में बताया. इस एडवांस तकनीक में, सर्जिकल टीम कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए लिक्विड नाइट्रोजन के जरिए प्रभावित हड्डी को जमा देती है, फिर इलाज के बाद हड्डी को शरीर में इम्प्लांट किया जाता है, जिसके इसकी फंक्शनिंग भी बची रहे. परिवार के साथ लंबी बातचीत और विमर्श के बाद, हमने इस अत्याधुनिक उपचार का विकल्प चुनने का फैसला किया. हमने आसपास की कुछ मांसपेशियों के साथ कैंसर की हड्डी को सावधानीपूर्वक हटा दिया. यह प्रक्रिया कम आक्रामक है और इससे मरीजों को क्वालिटी लाइफ मिलती है. हम प्रीति की हालत में सुधार देखकर खुश हैं, और उनकी रिकवरी इस इनोवेटिव प्रक्रिया की सफलता का एक नमूना है. इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से, हम सभी का ध्यान चाइल्डहुड कैंसर के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता की ओर भी लाना चाहते हैं, जिसका अगर समय पर पता लग जाए तो इलाज किया जा सकता है.''
प्रीति की कीमोथेरेपी और फिजियोथेरेपी चलती रही. समर्पण और रेगुलर एक्सरसाइज की मदद से प्रीति ने अपने कंधे का मूवमेंट वापस पा लिया और अब वो पहले की तरह ही अपने काम आसानी से कर पाने में सक्षम है. मैक्स अस्पताल साकेत बाल चिकित्सा ऑन्कोलॉजी में इनोवेटिव इलाज के मामले में सबसे आगे है, यह सुनिश्चित करते हुए कि सबसे कम उम्र के रोगियों को भी सर्वोत्तम संभव देखभाल और स्वस्थ व रोग मुक्त जीवन जीने का मौका मिले.
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