यह सर्जरी आमतौर पर पसलियों के बीच से की जाती है, जिससे साधारण ओपन हार्ट सर्जरी में लगने वाले बड़े चीरों की जरूरत नहीं पड़ती। इस प्रक्रिया में हाई डेफिनिशन कैमरा और विशेष सर्जिकल उपकरणों का उपयोग होता है, जिससे सर्जन अधिक सटीकता के साथ ऑपरेशन कर पाते हैं। एमआईसीएस का उपयोग कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग, वाल्व रिपेयर या रिप्लेसमेंट को ठीक करने जैसे मामलों में किया जाता है। डॉ. अखिल कुमार रस्तोगी, डायरेक्टर और प्रमुख, कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी, यथार्थ हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा ने कहा, मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी ने हार्ट डिजीज के इलाज में एक नई क्रांति ला दी है।
यह प्रक्रिया न केवल मरीजों को जल्दी ठीक होने का मौका देती है, बल्कि उनकी जिंदगी को बेहतर बनाती है। सही समय पर इलाज और विशेषज्ञ डॉक्टर की देखरेख से हार्ट की बीमारियों को सही ढंग से संभाला जा सकता है। मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी की सबसे बड़ी खासियत है इसकी जल्दी रिकवरी। छोटे कट की वजह से मरीजों को कम दर्द होता है और खून की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। जहां साधारण ओपन हार्ट सर्जरी के बाद मरीजों को हफ्तों या महीनों तक आराम की जरूरत पड़ती है, वहीं एमआईसीएस के मरीज अपनी सामान्य दिनचर्या को कुछ ही दिनों में शुरू कर सकते हैं इसके अलावा, इस प्रक्रिया में संक्रमण का खतरा भी काफी कम होता है, खासकर डायबिटीज या मोटापे से ग्रस्त मरीजों के लिए, जिनमें संक्रमण की संभावना अधिक होती है। छोटी छोटी कटिंग्स से बहुत कम निशान बनते हैं, जो युवा मरीजों या ऐसे लोगों के लिए एक बड़ा लाभ है, जो सर्जरी के बाद के निशानों को लेकर चिंतित रहते हैं।
एमआईसीएस में एडवांस्ड तकनीकों का इस्तेमाल होता है, जैसे कि धोरैकोस्कोपिक सर्जरी, जिसमें एक छोटे कैमरे के जरिए दिल की स्पष्ट तस्वीर लेकर सर्जन ऑपरेशन करते हैं। कुछ मामलों में रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी का उपयोग भी होता है, जिससे सर्जन और भी छोटे कट्स के जरिए अधिक सटीकता से सर्जरी कर पाते हैं। मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी ने हार्ट डिजीज के इलाज का तरीका पूरी तरह बदल दिया है। आधुनिक तकनीक और मरीज-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ, यह प्रक्रिया तेज रिकवरी और बेहतर परिणाम का रास्ता खोलती है। जैसे-जैसे इसके प्रति जागरूकता बढ़ेगी, भारत और दुनिया भर में अधिक से अधिक मरीज इस अद्भुत तकनीक का लाभउठा पाएंगे।
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