युवाओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलेः समय पर सावधानी बेहद ज़रूरी

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युवाओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलेः समय पर सावधानी बेहद ज़रूरी

युवाओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलेः समय पर सावधानी बेहद ज़रूरी

हले हार्ट अटैक को एक अधिक उम्र के लोगों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब युवाओं में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बदलती लाइफस्टाइल, तनाव, खराब खानपान और जेनेटिक कारण इसके पीछे प्रमुख वजहें हैं। खासतौर पर शहरों में तेज रफ्तार जीवनशैली और अस्वस्थ आदतों के चलते युवा दिल की बीमारियों की चपेट में रहे हैं। भारत में हर चार में से एक हार्ट अटैक का केस 40 साल से कम उम्र के लोगों में देखा जा रहा है, जो बेहद चिंताजनक है। 


डॉ. दीपांकर वत्स जो यथार्थ हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा के कार्डियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ हैं उनका कहना है, आजकल युवा भी दिल की बीमारियों से सुरक्षित नहीं हैं। तेज़ लाइफस्टाइल, तनाव और गलत आदतें हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा रही हैं। समय रहते अपनी सेहत को प्राथमिकता देना, नियमित जांच करवाना और लाइफस्टाइल में सुधार करना न सिर्फ दिल को बचा सकता है, बल्कि जीवन को भी लंबा और स्वस्थ बना सकता है। 


कम उम्र में हार्ट अटैक का खतरा मुख्य रूप से बैठे रहने की आदत, स्मोकिंग, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ के कारण बढ़ता है। मोटापा, स्ट्रेस, काम का दबाव और अनियमित नींद इस खतरे को और बढ़ा देते हैं। कई बार युवाओं को हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण नहीं दिखाई देते, जिससे पहचान में देर हो सकती है। सीने में दर्द या भारीपन के अलावा सांस लेने में तकलीफ, थकावट, चक्कर आना या बाएं हाथ, जबड़े या गर्दन में दर्द जैसे संकेत नजर आ सकते हैं, जिन्हें लोग अक्सर हल्की परेशानी समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं। इसी वजह से समय पर इलाज नहीं हो पाता और स्थिति गंभीर हो सकती है। 


बचाव के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना बेहद ज़रूरी है। हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट एक्सरसाइज करने, साबुत अनाज, फल, हरी सब्जियां और हेल्दी फैट्स से भरपूर डाइट लेने से दिल की सेहत बेहतर रहती है। स्ट्रेस मैनेज करने के लिए योग, मेडिटेशन और माइंडफुलनेस जैसी तकनीकों का सहारा लेना चाहिए। स्मोकिंग छोड़ना और शराब का सेवन कम करना भी जरूरी है, क्योंकि ये आदतें नसों में ब्लॉकेज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं पैदा करती हैं। समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाकर कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल की जांच करवानी चाहिए, जिससे कोई समस्या होने पर समय रहते इलाज किया जा सके। 


हार्ट अटैक के खतरे वाले मरीजों के लिए तुरंत इलाज बहुत जरूरी होता है। कार्डियोलॉजी में नई तकनीकों जैसे एंजियोप्लास्टी, स्टेंट प्लेसमेंट, इंट्रावैस्क्युलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस) और ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) ने हार्ट अटैक से बचने की संभावनाएं बढ़ा दी हैं। इमरजेंसी में फौरन सीपीआर और अस्पताल में तुरंत इलाज जान बचा सकता है। 


युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक के मामले इस बात का संकेत हैं कि जीवनशैली में बदलाव और जागरूकता की जरूरत है। समय रहते सावधानी, हेल्दी आदतें और डॉक्टरों की सलाह से इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है और लंबे समय तक दिल की सेहत को सुरक्षित रखा जा सकता है।