पानीपत: बढ़ती जीवन प्रत्याशा के साथ, आज अधिक से अधिक लोग अपने जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी का विकल्प चुन रहे हैं। हालांकि, पारंपरिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में कई सामान्य समस्याएं सामने आती हैं, जैसे कि अपर्याप्त योजना, गलत आकार के इम्प्लांट, असमान संरेखण और संक्रमण का अधिक खतरा। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए अब रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी जैसी नवीनतम और क्रांतिकारी तकनीक उपलब्ध है, जिसमें टोटल और पार्शियल नी रिप्लेसमेंट किया जा सकता है।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट और ऑर्थोपेडिक्स विभाग के डायरेक्टर डॉ. साइमन थॉमस ने बताया कि “रोबोटिक नी सर्जरी को लेकर कई भ्रांतियां फैली हुई हैं, जिनमें से एक यह है कि सर्जरी स्वयं रोबोट करता है। वास्तव में, रोबोटिक सर्जरी हमेशा सर्जन द्वारा ही की जाती है। रोबोट केवल एक सहायक उपकरण के रूप में कार्य करता है, जो मरीज के घुटने का 3D मॉडल तैयार करने में मदद करता है। यह मॉडल सर्जरी की पूर्व योजना बनाने और इम्प्लांट को सही ढंग से संरेखित करने में सहायता करता है। रोबोट सर्जन को अधिक सटीकता और एक्यूरेसी से सर्जरी करने में मदद करता है, लेकिन पूरी प्रक्रिया सर्जन के नियंत्रण में होती है।“
एक और आम भ्रांति यह है कि रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट में कस्टम-निर्मित इम्प्लांट का उपयोग किया जाता है। वास्तविकता यह है कि इसमें वही इम्प्लांट उपयोग किए जाते हैं जो पारंपरिक सर्जरी में होते हैं। अंतर केवल इतना है कि रोबोट की सहायता से इन्हें अधिक सटीक रूप से मरीज के प्राकृतिक घुटने के अनुरूप संरेखित किया जाता है। इस तकनीक के कारण मरीज को बेहतर फिटिंग, अधिक संतुष्टि और जल्दी रिकवरी का लाभ मिलता है।
डॉ. साइमन ने आगे बताया कि “कुछ लोगों का मानना है कि रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के परिणाम पारंपरिक सर्जरी से बेहतर नहीं होते। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इस सर्जरी के अनुभव सकारात्मक रहे हैं। सटीक संरेखण, सही इम्प्लांट फिटिंग और टिशू प्रिजर्वेशन जैसी विशेषताओं के कारण यह तकनीक अधिक प्रभावी साबित हुई है। इसके बाद मरीजों को कम दर्द, कम रक्तस्राव और कम अस्पताल में रहने की अवधि का लाभ मिलता है। वास्तव में, द्विपक्षीय टोटल नी रिप्लेसमेंट के बाद मरीज केवल 2 दिनों के भीतर चलने और आवश्यक कार्यों को स्वतंत्र रूप से करने में सक्षम हो सकते हैं।“
यह भी एक भ्रांति है कि रोबोटिक सर्जरी केवल जटिल मामलों में ही की जाती है। जबकि यह तकनीक जटिल मामलों में मददगार होती है, सामान्य मामलों में भी यह अधिक सटीकता और इम्प्लांट संरेखण के कारण फायदेमंद होती है। प्री-ऑपरेटिव इमेजिंग के माध्यम से मरीज की एनाटॉमी के अनुसार सर्जरी की योजना बनाई जाती है, जिससे लंबे समय तक अच्छे परिणाम मिलते हैं।
अंत में, कुछ लोग मानते हैं कि रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट बहुत महंगा होता है। सच्चाई यह है कि इसकी लागत पारंपरिक सर्जरी के समान होती है, बस रोबोट के उपयोग के लिए थोड़ा अतिरिक्त शुल्क लगता है। अच्छी बात यह है कि अब कई बीमा कंपनियां भी रोबोटिक सर्जरी से जुड़े इन अतिरिक्त खर्चों को कवर करने लगी हैं, जिससे यह अधिक सुलभ हो गया है।
Social Plugin